संस्कृत विद्वान महामहोपाध्याय आचार्य दोर्बल प्रभाकर शर्मा का हुआ सम्मान।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 27 जुलाई, श्री शृंगेरी शंकर मठ, महमूरगंज में त्रिभाषा महा सहस्रावधानी ब्रह्मश्री वद्दिपर्ति पद्माकर गुरुजी का शतावधान कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को सुबह का सत्र भव्य रूप से शुरू हुआ। प्राश्निकों और साहित्य प्रेमियों के बीच ब्रह्मश्री वद्दिपर्ति पद्माकर गुरुजी का शतावधान साहित्य प्रेमियों के लिए एक त्योहार की तरह था। दूसरे दिन शतावधान कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में महामहोपाध्याय आचार्य दोर्बल प्रभाकर शर्मा और मुख्य अतिथि के रूप में बनारस हिंदू तेलुगु विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य आचार्य भूदाटी वेंकटेश्वरलु उपस्थित थे।कार्यक्रम में वेदिका पर संस्कृत पंडित दोर्बल प्रभाकर शर्मा का आयोजकों द्वारा भव्य स्वागत किया गया।चिंतामणी गणेश के महंत चल्ला सुब्बा राव के नेतृत्व में 300 संस्कृत ब्राह्मणों ने काशी विश्वनाथ का दर्शन पूजन किया। कार्यक्रम में गुरु सहस्रावधानी कडिमेल्ल वरप्रसाद, सहस्रावधानी कोट लक्ष्मीनरसिंह, गीता प्रेस के आयोजक, शतावधानी उप्पलधडियं भरत शर्मा, एम.वैंकट रमन शर्मा, एल कामेश्वर राव, राजीव लोचन शर्मा, चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, चल्ला सुब्बा राव, संतोष सोलापुरकर सहित सैकडों की संख्या में तेलंगना व आंध्रा प्रदेश से आए संस्कृत विद्वान उपस्थित थे।