Kashi ka News सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पच्चीस विभूति हुए राष्ट्रीय अलंकरण काशी रत्न एवं शाने-ए-काशी से अलंकृत

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पच्चीस विभूति हुए राष्ट्रीय अलंकरण काशी रत्न एवं शाने-ए-काशी से अलंकृत।

ब्यूरो आनंद सिंह अन्ना  

वाराणसी। दिनांक 29 मई, इण्डियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट (आईएजे) एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में आज हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी "जी-20 एवम् विश्व में भारत की बढ़ती भूमिका" विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन पाणिनि भवन सभागार, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में सम्पन्न हुआ। 

समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी (कुलपति- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी)  मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. रजनीकान्त तथा विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हीरक कान्त चक्रवर्ती (संकायाध्यक्ष, आधुनिक ज्ञान विज्ञान विभाग) एवं श्रीमती बन्दना सिंह (नेशनल प्लेवर बालीबॉल विनर, कोहिनूर मिसेज इण्डिया इन्टरनेशनल- 2022) रही।

समारोह का शुभारम्भ मंगलाचरण, सरस्वती बन्दना, माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन से हुआ। 

राष्ट्रीय संगोष्ठी जी-20 एवम् विश्व में भारत की बढ़ती भूमिका पर विषय प्रवेश प्रो. शैलेश कुमार मिश्र ने किया तथा अन्य वक्ताओं ने भी अपना-अपना विचार रखा। वार्षिक बुलेटिन "दृष्टि" पत्रिका का विमोचन मुख्य अतिथि ने किया। चयनित राष्ट्रीय अलंकरण काशी रत्न, शान-ए-काशी 2023 के नामों की घोषणा इण्डियन एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ कैलाश सिंह विकास ने घोषणा की। सभी चयनित विभूतियों को अलंकरण पत्र, शाल, स्मृति चिन्ह्, बैच तथा बुलेटिन "दृष्टि" पत्रिका प्रदान कर  अलंकृत किया गया। विदुषी वर्मा ने माँ सरस्वती वन्दना की तथा डा. महेन्द्र पाण्डेय ने मंगलाचरण किया।

अतिथियों का स्वागत मोतीलाल गुप्ता तथा संचालन डा. अनुपम गुप्ता एडवोकेट एव धन्यवाद ज्ञापन प्रकाश प्रोफेसर हीरक कांत चक्रवर्ती ने किया।

समारोह में मुख्य रूप से सर्व श्री सत्यनारायण द्विवेदी 'एडवोकेट', अरविन्द कुमार विश्वकर्मा, जियाउद्दीन फारुकी एडवोकेट, अर्जुन सिंह, आर्शीवाद सिंह, मोहम्मद दाउद, आनन्द कुमार सिंह अन्ना, डॉ राजेश जायसवाल,  विक्रम कुमार, विनय श्रीवास्तव, ऋषिदेव उपाध्याय, राजू वर्मा, राधा सेठ, प्रकाश आचार्य, जफरुउद्दीन फारूकी, डा महेन्द्र पाण्डेय, प्रोफेसर शरद कुमार, आदित्य शंकर मिश्र, राकेश विश्वकर्मा, अनिल नाग, अजय सिंह सहित अनेकों गणमान्य लोग  शामिल रहे।

उक्त अवसर पर शास्त्रीय संगीत गायिका विदुषी वर्मा का विशिष्ट सम्मान अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह प्रदान कर किया गया।

उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ रजनीकान्त ने कहा कि जी-20 का प्रतिनिधित्व करना देश के लिए गौरव की बात है, सबसे अधिक बैठक अपने काशी नगरी में होना भी काशी के लिए गौरव है। भारत फिर से सोने की चिड़िया बनने जा रहा है, हमें अपने विरासत पर गर्व करना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि जी-20 नई शिक्षा नीति का परिणाम है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् से है। हमें ऋषियों के तह तक जाना होगा। भारत आर्थिक और महाशक्ति के रूप में उभरेगा।

इसके अलावा वक्ताओं ने जी-20 और भारत की बढ़ती भूमिका पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में जी-20 का बैठक होना गौरव की बात है। पहले की तुलना में आज जी-20 की रूपरेखा बदल चुकी है। कृषि को लेकर हुए बैठक में मोटा अनाज की उपयोगिता बढ़ गयी है।

कार्यक्रम के दौरान अतिथिगणों द्वारा डॉ आंनदपाल राय (शिक्षा सेवा), सुश्री कोमल सिंह (समाज सेवा), डॉ श्याम सुन्दर नीरज (आयुर्वेद चिकित्सा सेवा), आलोक कुमार त्रिपाठी (पत्रकारिता सेवा), दीनबंधु राय (पत्रकारिता सेवा), पंडित प्रकाश मिश्रा (ज्योतिष सेवा), डॉ स्नेहा गुप्ता (चिकित्सा सेवा), शेखर खन्ना (शिक्षा सेवा), अनुज मिश्रा (पत्रकारिता सेवा), डॉ एस एस यादव (विधि सेवा), प्रोफेसर सोम शंकर दूबे (विज्ञान सेवा), डॉ विमल कुमार द्विवेदी (चिकित्सा सेवा), प्रोफेसर रामपूजन पांडे (संस्कृत शिक्षा सेवा), डॉ जगमोहन शर्मा (पत्रकारिता शिक्षा सेवा), को काशी रत्न अलंकरण से तथा श्रीमती प्रियंबदा सिंह (साहित्य सेवा), डॉ जी शिवांगी (आयुर्वेद चिकित्सा सेवा), आलोक मालवीय (पत्रकारिता सेवा), डॉ दीपक कुमार (शिक्षा प्रबंधन सेवा), सौरभ कुमार शुक्ला (पत्रकारिता सेवा), डॉ पवन कुमार शास्त्री ( साहित्य सेवा), डॉ रेणुका नागर (शिक्षा सेवा), श्रीमती झरना मुखर्जी (कवि, साहित्य सेवा), डॉ रविशंकर प्रसाद (न्यूरो सर्जन, चिकित्सा सेवा), पंकज कुमार श्रीवास्तव (खेल सेवा), डॉ श्याम नारायण सिंह (तकनीक, शिक्षा सेवा) को राष्ट्रीय अलंकरण शाने-ए-काशी से अलंकृत किया गया।