Kashi ka News. सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया।

ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना

वाराणसी। दिनांक 26 अगस्त, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी में श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर वाग्देवी मन्दिर परिसर में जन्म महोत्सव धूम धाम से मनाया गया। 

इस महापर्व पर संस्था के संरक्षक एवं कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने श्री कृष्ण जी के विभिन्न पक्षोंका वर्णन करते हुए बताया कि श्रीकृष्ण भगवान देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे।उनका वध कर असत्य और अन्याय का शमन किया। यह महापर्व अन्याय, अहंकार एवं अत्याचार को शमन करने का है।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के अवतार और उनके जीवन की महिमा को स्मरण कराता है। भगवान कृष्ण एक आदर्श व्यक्तित्व हैं जिनके जीवन की कथाएं और संदेश हमें भक्ति, प्रेम, धर्म और सच्चे जीवन के मूल्यों को सिखाते हैं। जन्माष्टमी इस महान आदर्श की स्मृति को जीवित रखने का अवसर प्रदान करता है।

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण की भक्ति और आराधना का महान अवसर है। भक्तजन इस दिन उनके चरणों में फूल, फल, सुपारी, धूप, दीप आदि से पूजा-अर्चना करते हैं और उनके नाम के जप और कीर्तन करते हैं। यह त्योहार भक्ति, प्रेम और आराधना की भावना को जगाने का अवसर प्रदान करते हैं।

वेदांत के आचार्य वेदांती प्रो रामकिशोर त्रिपाठी ने भगवान की कथा सुनाते हुये कहा कि पूर्व के प्रत्येक युगों में शरीर धारण करते हुए इसके 3 वर्ण हो चुके हैं । इस बार कृष्ण वर्ण का हुआ है , अतः इसका नाम कृष्ण होगा और इस तरह धरती को कंस जैसे पापी के पापों के भार से मुक्त करने के लिए श्री कृष्ण का जन्म भाद्र पक्ष की कृष्ण पक्ष की गहन अंधेरी रात में हुआ , थोड़ा पहले की बात करें तो मथुरा में कंस नामक राजा राज्य करता था, उसकी प्राणों से प्रिय एक बहन देवकी थी, देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ. अपनी बहन का रथ हांककर वह स्वयं अपनी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था । तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल होगा, इतना सुनते ही उसने रथ को वापस मोड़ लिया तथा देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया, एक - एक करके उसने देवकी के साथ संतानों की हत्या कर डाली, किंतु श्री कृष्ण को मारने के सभी प्रयास असफल रहे ।श्री कृष्ण जी ने मामा कंस का वध करके अत्यचार एवं अन्याय का नाश कर एक पापी से पृथ्वी को मुक्त कराया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा के द्वारा विश्वकल्याण, संस्कृत व विश्वविद्यालय के अभ्युदय, और स्वस्थ समाज के सृजन के मनोकामना के साथ वैदिक विधि पूर्वक से भगवान श्री कृष्ण जी एवं माँ वाग्देवी जी की पूजा आराधना तथा आरती किया गया।

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणासी के माँ वाग्देवी मंदिर के सभागार में आज श्री कृष्ण जन्मअष्टमी महोत्सव में सँगीत विभाग के द्वारा श्री कृष्ण जी के वास्तविक दर्शन पर मधुर भजन से भाव विभोर कर दिया।

माँ वाग्देवी के मंदिर के मंडप में अत्यन्त मनमोहक और अद्भुत झांकी को देखकर लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के बाल लीला का दर्शन किये।अलौकिक दर्शन से.नवीन पीढ़ी को अध्ययन करने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ।

उक्त महोत्सव मे वेद विभाग के अध्यक्ष प्रो महेंद्र पान्डेय के संयोजकत्व में पूजन आदि पुजारी डॉ राजकुमार मिश्र, डॉ सच्चिदानंद और सन्तोष दुबे सह व्यवस्थापक के द्वारा कराया गया।

उक्त अवसर पर प्रो रामपूजन पाण्डेय सहित विश्वविद्यालय परिवार उपस्थित थे।