Kashi ka News. सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा 'श्री शारदा शताब्दी सम्मान' से अलंकृत।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा 'श्री शारदा शताब्दी सम्मान' से अलंकृत।

ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना

वाराणसी। दिनांक 9 सितम्बर, संस्कृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सेवाओं और योगदान के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो बिहारी लाल शर्मा को 'श्री शारदा शताब्दी सम्मान' से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान काशी में दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित 

"श्री शारदा शताब्दी सम्मान 

 समारोह" के दौरान प्रदान किया गया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री एन. कोटिश्वर और पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने उन्हें इस सम्मान से अलंकृत किया।

यह समारोह श्री शारदा शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसमें संस्कृत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों को सम्मानित किया जाता है। 

प्रो. बिहारी लाल शर्मा को यह सम्मान संस्कृत के प्रचार-प्रसार और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। उन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में अपने नेतृत्व के दौरान न केवल शैक्षणिक स्तर पर सुधार किए, बल्कि संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जिनसे विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर ने अपने संबोधन में कहा कि "संस्कृत भारतीय सभ्यता की आत्मा है, और प्रो बिहारी लाल शर्मा ने इस महान भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जो कार्य किए हैं, वे सराहनीय हैं। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।"

पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी ने भी प्रो शर्मा के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि "संस्कृत की समृद्ध परंपरा को जीवंत रखने में प्रो बिहारी लाल शर्मा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके द्वारा किए गए शोध कार्य और शैक्षणिक सुधार इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

इस अवसर पर शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। समारोह के दौरान प्रो बिहारी लाल शर्मा ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने गुरुजनों, सहकर्मियों और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की पूरी टीम को दिया। 

उन्होंने कहा कि "यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि संस्कृत के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह मुझे और अधिक प्रेरित करेगा कि मैं संस्कृत के विकास और इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए सतत् प्रयासरत रहूं।

उक्त समारोह में विद्वानों, शिक्षाविदों और संस्कृत प्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और कार्यक्रम के दौरान संस्कृत साहित्य और संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया।