Kashi ka News. मंत्री के हाथों से टेबलेट पाकर विद्यार्थियों के चेहरे खिले।

मंत्री के हाथों से टेबलेट पाकर विद्यार्थियों के चेहरे खिले।

ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना

वाराणसी। दिनांक 14 सितम्बर, देववाणी संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति सभ्यता का मूल केंद्र होने के नाते, यह संस्था हमारी संस्कृति, संस्कार और सांस्कृतिक परंपराओं को पल्लवित-पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय ज्ञान परंपरा और प्राचीन ज्ञान के अनुसार, कोरोना काल में सम्पूर्ण विश्व ने भारत की ओर देखा और हमारे देश की आयुर्वेदिक और योगिक परंपराओं ने वैश्विक स्तर पर अपनी प्रभावशीलता साबित की। भारतीय संस्कृति से ही भारत विश्व गुरु था, यदि संस्कृत राष्ट्र भाषा बने तो पुनः भारत विश्व गुरु बनेगा।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। यदि संस्कृत के विद्यार्थियों को आज स्मार्टफोन के माध्यम से डिजिटल तकनीक से जोड़ा जा रहा है तो निश्चित ही वेद शास्त्रों के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में बहुत सहायक सिद्ध होगा। कुंडली आदि की गणना करने में सरलता होगी।उन्हें इसका प्रयोग सकरात्मक रूप से करते हुए राष्ट्र कल्याण के लिए रचनात्मक भूमिका निभाना चाहिए। युवाओं के सहयोग से विकसित भारत का सपना साकार होगा। उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पाणिनी भवन सभागार में उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजनान्तर्गत सत्र 2023-24 के आचार्य एवं पत्रकारिता एवं ज़न संचार विज्ञान स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम 

के छात्रों को टेबलेट के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया। परिवहन राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि इस संस्था का उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करना और भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करना है। यह संस्था हमारी संस्कृति के मूल तत्वों को संरक्षित करने और उन्हें नए पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि काशी समर्पण की धरती है, काशी ज्ञान की राजधानी है, ज्ञान का संवर्धन- पोषण इस संस्था के द्वारा किया जा रहा है। यह संस्था ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी का प्रांगण है जो कि हमारे तपस्वी मनस्वी आचार्यों की साधना से ही सम्पूर्ण देश को संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार के प्रकाश से प्रकाशित कर रही है। हमारी साँस्कृतिक परंपराओं एवं भारतीय ज्ञान परंपरा की रक्षा इसी विश्वविद्यालय से पोषित है।कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि "जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है" युवाओं की बदौलत ही भारत वैश्विक पटल पर स्थापित होगा, विश्व गुरु का दर्जा युवाओं के आगे बढ़ने से सम्भव होगा।काशी से जो आवाज निकलती है वह देश की आवाज होती है।काशी सांसद देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री हैं, प्रत्येक आवाज उनकी है। आज युवाओं के परिश्रम की बदौलत ही सफ़लता से उन्हें टेबलेट/स्मार्टफोन देकर डिजिटल युग के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। इस भौतिक उपकरण का सकारात्मक सदुपयोग कर आप आपने भविष्य को स्वंय के हित तथा राष्ट्र कल्याण में लगाएं।

स्वागत भाषण नोडल अधिकारी प्रो दिनेश कुमार गर्ग ने किया।टेबलेट पाते ही विद्यार्थियों के चेहरे खिले, हर्षित होकर उन्होंने कहा कि आज डिजिटल युग में स्मार्टफोन, टैबलेट आदि के माध्यम से लोगों से जुड़ने तथा दुनिया की सारी जानकारी प्राप्त होगी, अन्य शैक्षिक संस्थानों से जुड़ने में सहायक होगा।

नोडल अधिकारी प्रो दिनेश कुमार गर्ग ने बताया कि टेबलेट योजना (स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना) के अंतर्गत आज यहाँ के सत्र 2023-24 के आचार्य एवं पत्रकारिता एवं ज़न संचार विज्ञान स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को टेबलेट दिया गया है। आज के समय में विद्यार्थियों को सरकार के सहयोग से टेबलेट देकर उन्हें समय के साथ जोड़ दिया गया है।दो दर्जन छात्राओं ने भी टेबलेट पाकर हर्षित हुई।जिसमें एक दर्जन बालिकाओं को मंच से मंत्री जी के हाथों से टेबलेट दिया गया। क्रमशः बतौर विशिष्ट अतिथि एवं सारस्वत अतिथि विधान परिषद सदस्य महेश चंद्र श्रीवास्तव एवं खंड शिक्षा अधिकारी अखिलेश यादव ने भी सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार व्यक्त किया।

संचालन भाषा विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो विद्या कुमारी चंद्रा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण, दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।मंच पर आसीन अतिथियों का चन्दन, माला, अंगवस्त्रम,स्मृति चिन्ह एवं नारिकेल के देकर स्वागत और अभिनंदन किया गया है।कार्यवाहक कुलसचिव प्रो रमेश प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर मुख्य से प्रो• रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो• रामपूजन पाण्डेय, प्रो• हरिशंकर पाण्डेय, प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती, प्रो जितेन्द्र कुमार शाही, प्रो रमेश प्रसाद, प्रो महेंद्र पाण्डेय, प्रो विधु द्विवेदी, प्रो राघवेन्द्र जी दुबे, प्रो अमित कुमार शुक्ल, डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ विजय कुमार शर्मा आदि मौजूद थे।