Kashi ka News. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को झटका,परिसर के दोबारा एएसआई सर्वे की मांग कोर्ट ने की खारिज।
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को झटका,परिसर के दोबारा एएसआई सर्वे की मांग कोर्ट ने की खारिज।
ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 26 अक्टूबर, ज्ञानवापी में 1991 के मूलवाद को लेकर 33 साल से चल रही लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट शुक्रवार को परिसर के पुनः वैज्ञानिक पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI Survey) को लेकर अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। 19 अक्टूबर को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। 1991 के मूल वाद ज्ञानवापी लॉर्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के मुख्य वाद के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने 7 फरवरी 2024 को पूरे परिसर के पुन: सर्वे की मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट जुगल शंभू की अदालत में याचिका दाखिल की थी, इसमें मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर शिवलिंग होने का दावा करते हुए मुख्य गुंबद के 100 मीटर हिस्से को छोड़कर खोदाई करते हुए वैज्ञानिक तकनीक से जांच की मांग की थी।
इसके अलावा कमीशन कार्रवाई के दौरान मिले वजूखाने में कथित शिवलिंग के जांच की मांग भी की गई थी, जिस पर लगातार बहस के बाद शुक्रवार को कोर्ट ने इस पूरे मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जो 202 में सर्वे के दौरान ज्ञानवापी शृंगार गौरी के नियमित दर्शन के दौरान एएसआई सर्वे को लेकर दिया गया था। उस वक्त मुस्लिम पक्ष की एप्लीकेशन पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने यहां खुदाई ना करते हुए मशीनों की मदद से ही जांच की बात कही थी और इमारत को कमजोर बताते हुए खुदाई न करने के लिए कहा था, उसी को आधार बनाते हुए मुस्लिम पक्ष ने यहां पर अपनी बातें रखी थीं, जिस पर कोर्ट ने आज इस याचिका को खारिज कर दिया है।
इस मामले में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी और उनके बेटे सुनील रस्तोगी का कहना है कि पहले 27 पन्नों के आदेश को पढ़ा जाएगा, उसके बाद हर तथ्य और हर बिंदु की पड़ताल करके जिला जज या फिर हाईकोर्ट में जाएंगे। वही मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता इकलाख अहमद का कहना है हम इसे जीत-हार के तौर पर नहीं देख रहे हैं। यह कानूनी प्रक्रिया है, कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया है, हिंदू पक्ष अगर आगे जाता है तो हम उनके पीछे-पीछे रहेंगे।
बता दें कि वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट युगुल शंभू की अदालत में इस पूरे मामले की सुनवाई हो रही थी, इसमें पिछली सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपनी बातें रखी थीं और मुस्लिम पक्ष ने अपनी बातों को रखने के लिए समय मांगा था, जिस पर दोनों पक्षों की तरफ से बहस की गई। दोनों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने 19 अक्टूबर को ही 25 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की थी।
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस पूरे परिसर की पुनः सर्वे कराए जाने की याचिका दायर की थी। हिंदू पक्ष के वकीलों का जवाब और जिरह पूरी होने के बाद अब फैसला का इंतजार था। वाद मित्र ने दावा किया है कि पिछला एएसआई सर्वे अधूरा था, सर्वे में बिना खुदाई के सही रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकती है, इसलिए एएसआई से ज्ञानवापी में खुदाई कराई जानी आवश्यक है।
विजय शंकर रस्तोगी का कहना था कि जिस तरह से इस मामले के कनेक्टिंग मुकदमे श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण को लेकर ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई है, उसकी रिपोर्ट में बहुत से स्थान अभी अछूते हैं, जिसमें केंद्रीय डम के नीचे और जो वजू खाने में करते थे शिवलिंग मिला है, वह स्थान इन जगहों पर जांच नहीं हुई है, इसके अलावा खुदाई नहीं हुई है जिसकी वजह से अंदर क्या चीज हैं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
अंजुमन इंतजामिया की तरफ से इस पूरे मामले में विरोध दर्ज कराया गया, उनका कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए खुदाई से साफ इनकार किया था और सर्वे करने वाले पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि स्ट्रक्चर को बिना नुकसान पहुंचाए बिना खुदाई के सर्वे के कार्रवाई होगी, जब यह आदेश पुराना है तो इसको बार-बार खुदाई के लिए कहा जाना उचित नहीं है।