मन्दिर प्रबंधन का पाठ्यक्रम संचालित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय- कुलपति
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 26 मार्च, संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है, इसमे निहित ज्ञान भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता को जागृत करने का कार्य करती है। काशी ज्ञान, संस्कृति और अनेक पारम्परिक महोत्सव का स्थल है। यह विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों की धरोहर के रूप में स्थापित है, यहां के आचार्य गण संस्कृत भाषा को अपने तक सीमित न करते हुए योजना बद्ध होकर ज़न भाषा बनाने का प्रयास करें, जिससे भाषा के विकास में योगदान प्राप्त होगा। काशी विद्वानों की नगरी है यहां के आचार्यों कर विचार सम्पूर्ण देश मे स्वीकार किये जाते हैं।इसलिए एक भाव होकर सभी लोग संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के अपने जीवन के आचार- विचार में उतारने की कोशिश करें।साथ ही अपने आसपास के वातावरण में संस्कृत-संस्कृति एवं संस्कार के अमृत सरोवर को स्थापित करें। हमे भाषा कर विकास के लिए इज़राईल के संदेश की तरफ उन्मुख होने की जरूरत है। उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पाणिनी भवन सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के अंतर्गत चल रहे विभिन्न पाठयक्रमों में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उपाधि वितरित करते हुए महापौर अशोक कुमार तिवारी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।
महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि संस्कृत ज्ञान और समर्पण की भाषा है, मूलतः यह सभी भाषाओं की माँ है। संस्कृत के अन्दर छिपी अमृत ज्ञान तत्वों के आधार पर हम दुनियां मे स्थापित होके विश्व गुरु बन सके थे।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि यह संस्था ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी का प्रांगण है जो कि हमारे तपस्वी मनस्वी आचार्यों की साधना से ही सम्पूर्ण देश को संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार के प्रकाश से प्रकाशित कर रही है। हमारी साँस्कृतिक परंपराओं एवं भारतीय ज्ञान परम्परा की रक्षा इसी विश्वविद्यालय से पोषित है। काशी से जो आवाज निकलती है वह देश की आवाज होती है। आज यहाँ ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण के माध्यम से जुड़कर देश के कोने-कोने से विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश लेकर डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट की उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, उन सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। ज्ञात हुआ है कि विदेशों से भी लोग इस पाठ्यक्रम में जुड़ रहे हैं, आज आभासी माध्यम से अध्ययन के मार्ग वृहद् रूप में खुल रहे हैं। आज मन्दिर प्रबंधन के पाठ्यक्रम संचालित करने वाला यह देश का पहला विश्वविद्यालय है।
अतिथियों के द्वारा संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के अन्तर्गत विभिन्न विषयों मे क्रमशः ज्योतिष कुंडली विज्ञान, वस्तु विज्ञान, वेद, कर्मकांड, अर्चक, योग, दर्शन, वेदांत, पाली, प्राकृत, भाषा शिक्षण एवं व्याकरण, मन्दिर प्रबंधन आदि में एक वर्षीय डिप्लोमा, छह मासिक, त्रैमासिक पाठ्यक्रमों में
शशीन्द्र मिश्र, मुकुल चौधरी, पवन कुमार शर्मा, कृष्ण मणि उपाध्याय शेफाली, वृज वीर, उमा उपाध्याय प्रधान उपाध्याय सहित 40 विद्यार्थीयों को उपाधि वितरित किया गया।
इस अवसर पर कुलसचिव राकेश कुमार, प्रो रामपूजन पाण्डेय, प्रो विष्णु महापात्र, विमलेद्र, प्रो हरिशंकर पाण्डेय, प्रो विजय कुमार पाण्डेय, प्रो विधु द्विवेदी, डॉ पद्माकर मिश्र, प्रो महेन्द्र पाण्डेय, प्रो दिनेश कुमार गर्ग, प्रो विद्या कुमारी, डॉ रविशंकर पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।