महिलाओं के त्याग और समर्पण का भाव हरियाली तीज पर्व-कुलपति शर्मा।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 27 जुलाई, हरियाली तीज पर्व एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो महिलाओं के सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है और महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पर्व पर महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, जो उनकी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाता है और पारिवारिक महत्व भी रखता है। महिलाओं के त्याग और समर्पण का पर्व हरियाली तीज है। उक्त विचार सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने पाणिनी भवन सभागार में महिला अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित लोकगीत एवं लोक संस्कृति पर आधारित विशेष कार्यक्रम हरियाली/हरियालिका तीज पर्व के आयोजन के अवसर पर बतौर अध्यक्ष/अभिभावक व्यक्त कर रहे थे। कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं भारतीयता की रक्षा महिलाओं के द्वारा किया गया है, आज भी हमारी संस्कृति एवं संस्कार को जीवंत बनाने तथा धरोहर को संरक्षित करने कार्य लोकगीतों, पर्वों एवं विभिन्न संस्कृतियों के द्वारा किया जा रहा है। लोकगीतों में हमारी विभिन्न सामाजिक रीतिरिवाज भी संरक्षित हैं।आकाशवाणी कलाकार, शास्त्रीय संगीत की संरक्षिका विदुषी सुचरिता गुप्ता ने लोक संगीत के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी संस्कृति एवं धरोहर इन्ही लोक गीतों में निहित हैं।लोकगीत हमारी संस्कृति और संस्कारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। महिलाएं सदैव लोकगीतों के माध्यम से अपनी भावनाओं, अनुभवों और परंपराओं को व्यक्त करती हैं और उन्हें जीवंत रखती हैं। लोकगीतों में हमारी संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण होता है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमारी पहचान को मजबूत बनाता है। प्रसिद्ध लोकगायिका, नाट्य अकेडमी कजरी गायिका श्रीमती सरोज वर्मा ने बतौर विशिष्ट अतिथि कजरी गीत के विभिन्न भावों को व्यक्त करते हुए सामाजिक बुनियाद को मजबूत करने पर बल दिया,उन्होंने कहा कि लोकगीतों में भी यह भावना झलकती है। अपने गीतों में उनकी परंपराएं, अनुभव समाहित होती हैं। सदैव संस्कृति, संस्कारों को जीवंत रखती हैं। प्राचार्य डॉ नीलम गुप्ता ने कहा कि हमारी संस्कृति एवं संस्कार हमारे पर्वों एवं लोकसंगीत में निहित हैं,उसका संरक्षण भी पर्वों को मनाने तथा समाज को जोड़ने का एक अवसर है। महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशक प्रो विधु द्विवेदी ने सभी अतिथियों को परम्परा के साथ माल्यार्पण, अंगवस्त्र, स्मृतिचिह्न देकर स्वागत और अभिनन्दन किया। डॉ कंचन मिश्रा ने इस महोत्सव का संचालन किया। इस अवसर पर लोकगीत, फैशन शो, क्विज, मेंहदी, चूड़ी और सुहाग से संबंधित कार्यक्रम आयोजित हुए। प्रो विद्या कुमारी, डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ श्रुति मिश्रा, डॉ शैल पांडेय, मंजू सिंह सहित अनेकों लोगों ने सहभाग किया।