Kashi ka News. माइक्रोटेक कॉलेज के जनरल सेक्रेटरी नीरज राजहंस ने प्रतिभाशाली छात्र राज सिंह को किया सम्मानित।
माइक्रोटेक कॉलेज के जनरल सेक्रेटरी नीरज राजहंस ने प्रतिभाशाली छात्र राज सिंह को किया सम्मानित।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 14 अगस्त, जहाँ चाह, वहीं राह, इस कहावत को सच्चा कर दिखाया है एक दिव्यांग छात्र जिसका नाम राज सिंह है।इस बच्चे ने 12वीं पास के बाद ग्रेजुएशन के लिए कई महाविद्यालयों ने इस बच्चे का एडमिशन लेने से इनकार कर दिया। लेकिन बनारस के माइक्रोटेक कॉलेज ने इस बच्चे के साथ अपनी सहानुभूति जताते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से निवेदन कर दिव्यांग छात्र राज सिंह को यह महसूस नहीं होने दिया की वह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता।
उस छात्र का हौसला बढ़ाते हुए माइक्रोटेक कॉलेज के जनरल सेक्रेटरी नीरज राजहंस ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वाइस चांसलर से बात कर इस बच्चे का कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम कराने के लिए आग्रह कर छात्र का हौसला बढ़ाते हुए अपने संस्थान माइक्रोटेक कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
वह छात्र सफलता प्राप्त कर स्नातक बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक की डिग्री हासिल कर लिया, इतना ही नहीं पोस्ट ग्रेजुएशन की बात करें तो इस दिव्यांग छात्र ने बीएचयू,जेएनयू जैसे एंट्रेंस एग्जाम को भी क्वालीफाई कर जेएनयू में एडमिशन ले लिया है।
वह अपनी मेहनत, लगन और काबिलियत से न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि माइक्रोटेक कॉलेज का भी मान बढ़ाया। यह छात्र जन्मजात शारीरिक रूप से अक्षम है, लेकिन उसके हौसले ने हर कठिनाई को मात दी। उसके हौसले ले और जज्बे को देख माइक्रोटेक कॉलेज के जनरल सेक्रेटरी नीरज राजहंस ने उस बच्चे को सम्मानित किया साथ ही उन्होंने कहा कि यह संस्था सदैव ऐसे छात्रो के विकास के लिए खड़ी रहेगी।
वही संस्था के रजिस्ट्रार जय मंगल सिंह का कहना है कि यह छात्र हम सबके लिए प्रेरणा है, जिस समर्पण और जज्बे से इसने सफलता हासिल की है। यह छात्र हमारे संस्था से डिग्री ही नहीं नौकरी भी पाया है, जो ए टी लॉजिक इन सिलीकान सॉफ्टवेयर कंपनी में कैंपस सेलेक्शन हुआ है यह भी काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि इस छात्र ने यह साबित कर दिया कि असली शक्ति शरीर में नहीं, बल्कि मन में होती है।
राज ने भावुक होकर अपने संबोधन में कहा मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और माइक्रोटेक कॉलेज को देता हूँ जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मैं चाहता हूँ कि मेरी तरह कोई भी बच्चा अपनी शारीरिक स्थिति को कमजोरी न समझे।
वहीं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ कि परीक्षा नियंत्रक दीप्ति मिश्रा ने छात्र राज का हौसला बुलंद करते हुए कहा कि ऐसे छात्र को देखने के बाद यह समझ में आता है कि ऐसे ही नहीं भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है। राज की खूब सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आगे किसी भी तरीके की शिक्षा संबंधी जरूरत पड़ी तो हम तुम्हारे साथ हैं, समाज में ऐसे उदाहरण न केवल नई प्रेरणा देते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि सच्ची लगन से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। यह छात्र आज कई और बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है।