सभी भारतीय भाषाओं का आधार संस्कृत है-कुलपति प्रो शर्मा।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ऐसी नीति जो समर्पित राष्ट्र के सर्वागिण विकास के लिए विद्या राष्ट्र की प्रथम सम्पत्ति होती है। किसी राष्ट्र की पहली सम्पत्ति विद्या होती है। इस लिए इस विद्या का संरक्षण व संवर्धन होनी चाहिए इसका संरक्षण सभी लोग मिलकर करें तथा अध्यापक सारस्वत साधना से उस विद्या का प्रकटीकरण कर समाज तक ले जाये और जन सामान्य श्रद्धा व निष्ठापूर्वक उस विद्या को आत्मसात् करने में जुट जाये तब विद्या की रक्षा हो सकती है। राष्ट्रीय शिक्षानीति में शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया गया है यथा तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, उड़िया जैसी शास्त्रीय भाषाओं के साथ साथ पाली को गहराई से समझने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।सभी भाषाओं की शैक्षिक सामग्रियों को ऑनलाइन टूल और डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग किया जाए तो संस्कृत भाषा का प्रसार होगा। उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, विद्याश्री न्यास, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, यूपी एवं लालबहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज, चन्दौली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आज दो दिवसीय दिनांक 26-27 सितंबर 2025 को आयोजित "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: चुनौतियाँ और संभावनाएँ (संस्कृत विश्वविद्यालयों के विशेष संदर्भ में)।"विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन से संस्कृत विश्वविद्यालयों में नई संभावनाएँ खुल सकती हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा शिक्षण को बढ़ावा देने हेतु तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर बल दिया गया है।समग्र भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत का स्थान भाषाओं की दृष्टि से मां के समान है। सभी भारतीय भाषाओं का आधार संस्कृत है। इस तथ्य को वैश्विक स्तर पर भी स्वीकार किया जा रहा है कि संस्कृत वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पूर्ण भाषा है, हम सभी को इस बात का प्रसार हमें आने वाले पीढ़ियों तक ले जाना होगा। विद्या न्यास के सचिव डॉ दयानिधि मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि संस्कृत के शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया जाए एवं भाषा अनुवाद और व्याख्या के लिए सॉफ्टवेयर का निर्माण हो जिससे इसका सार्थक उपयोग किया जा सके।राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संस्कृत को केवल शास्त्रीय भाषा के रूप में नहीं, बल्कि प्राचीन भारतीय विज्ञान, गणित, दर्शन जैसे गूढ़ विषयों को समझने में संस्कृत सहायक हो सकती है। प्रो शैलेश कुमार (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ) ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूर्ण होने के उपरांत देश भर में संगोष्ठी, समूह परिचर्चा का आयोजन विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में किया गया, इसमें तीन बिंदुओं पर चर्चा की जा रही है-राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्यों आवश्यक है, विगत पांच वर्षो का मूल्यांकन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में चुनौतियां व समाधान । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) ने भारत की भाषाई विविधता को बढ़ावा देने और बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने के लिए एक अधिक लचीला त्रिभाषा सूत्र अपनाया है, जिसमें शिक्षा का माध्यम मातृभाषा/स्थानीय भाषा रखने पर जोर दिया गया है और शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन को भी बढ़ावा दिया गया है। प्रो अरविंद पाण्डेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत को स्कूली शिक्षा के "मुख्यधारा" में शामिल करने, त्रि-भाषा सूत्र में एक भाषा विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने और उच्च शिक्षा में बहुविषयक संस्थानों को बढ़ावा देने का प्रावधान है। इसका उद्देश्य संस्कृत के संरक्षण, प्रसार और वैज्ञानिक महत्व को उजागर करना है, साथ ही भाषा अनुवाद और व्याख्या के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करना भी है। प्रो पी सी शुक्ल ने कहा कि भारतीय भाषाओं, विशेषकर शास्त्रीय भाषाओं, के संरक्षण, अनुवाद और शोध को बढ़ावा देने के लिए नए राष्ट्रीय अनुवाद संस्थानों की स्थापना का भी प्रावधान है परंतु इसके लिए आंतरिक रुप से प्रेरित होने की आवश्यकता है। विभिन्न वक्ताओं ने संगोष्ठी में अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें प्रो उदयन मिश्र, प्राचार्य, लाल बहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज, चंदौली; डा रविशंकर पाण्डेय और डा विशाखा शुक्ला शामिल थे।मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम का संचालन डा रविशंकर, स्वागत डा विशाखा व धन्यवाद ज्ञापन प्रो उदयन ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो संजय, प्रो राजीव, प्रो अरुण, प्रो अमित, प्रो भावना, प्रो धनंजय, डा कामेश, डा दीपक, व्रजेश, धर्मेंद्र, डा हेमंत, डा प्रजापति, डा अरविंद, डा अश्विनी, डा सुनील, डा गोविंद के साथ छात्र/ छात्राएं आदि शामिल हुए।
