प्रकृति, परिवार व समाज को एक सूत्र में बांधता है छठ पर्व।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। प्रकृति, परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधने वाले सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता के जीवंत प्रतीक डाला छठ के महापर्व पर नमामि गंगे ने भगवान सूर्य की उपासना करके जनमानस से प्रकृति प्रेम और पर्यावरण संरक्षण की गुहार लगाई। सूर्यषष्ठी लोकपर्व पर समस्त विश्व को जागृति देने वाले सूर्यदेव, छठ माता व मां गंगा की आरती उतार कर संपूर्ण विश्व के लिए खुशहाली की कामना की। नमामि गंगे टीम के सदस्यों ने मणिकर्णिका घाट पर उपस्थित हजारों नागरिकों को स्वच्छता का संकल्प दिलाया। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात लोगों द्वारा गंगा तट पर छोड़े गए निर्माल्य को समेटा गया, ताकि वह गंगा में न जाने पाए। इस अवसर पर नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक व नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला ने कहा कि आज जब विश्व पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है, छठ जैसे पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य सिखाते हैं। छठ पूजा मात्र एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, अपितु सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मैया की उपासना के माध्यम से प्रकृति, परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधता है। आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक व नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला, पूनम शुक्ला, रीता शर्मा, सूर्यांशु शुक्ला, आयुष तिवारी, समर्थ शर्मा, भूमि यादव सहित सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे ।
