Kashi ka News। अच्छे दिनों के नाम पर कर दिया देश का बुरा हाल, नौ साल नौ सवाल

अच्छे दिनों के नाम पर कर दिया देश का बुरा हाल, नौ साल नौ सवाल।

ब्यूरो आनंद सिंह अन्ना 

वाराणसी। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की तरफ से मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल के दौरान की भयानक विफलताओं को रेखांकित करते हुए,देश की जनता को मोदी सरकार की कारगुजारियो को उजागर करने हेतु पूरे देश में पत्रकारवार्ता का आयोजन सुनिश्चित किया। इसी क्रम में आज वाराणसी में भी एक पत्रकारवार्ता का आयोजन सिगरा स्थित एक होटल में आयोजित हुआ।आज की पत्रकारवार्ता को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दूबे ने संबोधित किया।

अभय दूबे ने पत्रकारवार्ता की शुरुआत में भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उनको अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पंडित जी कहा करते थे, "सालों के बीतने से समय नहीं मापा जाता बल्कि किसी ने क्या किया, क्या महसूस किया, और क्या हासिल किया इससे मापा जाता है"। अभय दूबे ने प्रथम प्रधानमंत्री स्व जवाहरलाल नेहरू के कथन को आधार बनाकर जानते हैं कि मोदी सरकार ने नौ सालों में देश के लिए क्या हासिल किया।याद कीजिए 2014 का वो नारा "हम मोदी जी को लाने वाले हैं, अब अच्छे दिन आने वाले है"। आज 9 साल बाद इस नारे के सरोकार के सार को जानते हैं,9 सालों में इस नारे की 9 सवालों से तलाशी लेने का वक्त है,मोदी जी को कौन लाया और मोदी जी किसके लिए अच्छे दिन लेकर आए। मोदी जी ने देश की गृहणियों के लिए बेतहाशा महंगे दिन परोसे, युवाओं के लिए बेरोज़गारी भरे दिन, अर्थव्यवस्था के लिए मंदी भरे दिन, देश के साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए नफ़रत भरे दिन, किसानों के लिए दुख दर्द भरे दिन,देश की सीमाओं के लिए असुरक्षा भरे दिन, महामारी की विभीषिका में मज़दूरों के दर बदर भटकने के दिन और संवैधानिक संस्थाओं के लिए दमन भरे दिन परोसे गए अर्थात अच्छे दिनों के नाम पर देश का किया बुरा हाल और इस नारे की आड़ में अपने धन्ना सेठ दोस्तों को कर दिया माला माल।

अर्थव्यवस्था ऐसा क्यों है कि देश में महंगाई और बेरोज़गारी आसमान छू रही है? क्यों अमीर और अमीर हुए हैं और ग़रीब और ग़रीब? सार्वजनिक संपत्तियों को मोदी जी के मित्रों को क्यों बेचा जा रहा है? आर्थिक विषमताएं क्यों बढ़ रही हैं? 2014 के बाद से सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है, जबकि इस अवधि में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से 70 डॉलर प्रति बैरल गिर गई हैं।युवा बेरोज़गारी 30-40% तक बढ़ गई है, वहीं गरीबों के लिए वेतन वृद्धि निगेटिव रही है। यह एक विनाशकारी रिकॉर्ड है। नोटबंदी और जीएसटी ने काले धन को तो ख़त्म नहीं किया उल्टा छोटे व्यवसायों को नष्ट कर दिया।हाल ही में घोषित नोटबंदी 2.0 ने आपकी सरकार के बेरहम दृष्टिकोण की याद को ताज़ा कर दिया है।कृषि और किसान ऐसा क्यों है कि काले कृषि कानूनों को रद्द करते समय किसान संगठनों के साथ हुए समझौतों को अभी तक लागू नहीं किया गया है?MSP की गारंटी क्यों नहीं दी गई? पिछले 9 सालों में भी किसानों की आय क्यों दोगुनी नहीं हुई? कृषि को अपने चुने हुए मित्रों के हवाले करने के आपके प्रयास को एक व्यापक किसान आंदोलन ने विफल कर दिया।फिर भी आपकी सरकार फसलों के लाभकारी मूल्य निर्धारण के लिए किसानों की प्रमुख मांग को ठुकरा रही है। एक किसान की औसत आय 27 रुपये प्रतिदिन है, जबकि कृषि वस्तुओं पर जीएसटी ने हमारे अन्नदाताओं पर बोझ और बढ़ा दिया है।साथ ही उर्वरक जैसी वस्तुओं पर सब्सिडी में भी कटौती की गई है। भ्रष्टाचार, मित्रवाद ऐसा क्यों है कि अडानी को फ़ायदा पहुंचाने के लिए LIC और SBI में जमा जनता के ख़ून पसीने की कमाई को दांव पर लगा दिया? आप चोरों को क्यों भागने दे रहे हैं? आप भाजपा शासित राज्यों में हुए भ्रष्टाचार पर चुप क्यों हैं और क्यों देशवासियों को कष्ट झेलने को मजबूर कर रहे हैं? मोदानी मेगास्कैम से सामने आया कि कैसे एलआईसी और एसबीआई जैसी राष्ट्रीय संपत्ति अडानी जैसी जोखिम भरी कंपनियों में निवेश करने और उसे ऋण देने के लिए करोड़ों पॉलिसी धारकों और जमाकर्ताओं की बचत को जोख़िम में डाल रही है। अडानी का एकाधिकार बिजली और उड़ानों के लिए उच्च कीमतों में योगदान दे रहा है। रिसर्च से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में एकाधिकार महंगाई को बढ़ा रहा है।इस बीच, आपके करीबी डिफॉल्टर्स और स्कैमर्स को उनकी चोरी की संपत्ति के साथ भागने की अनुमति दी जाती है और जो लोग आपकी पार्टी में शामिल होते हैं, उन्हें मोदी वाशिंग मशीन द्वारा साफ किया जाता है।

चीन और राष्ट्रीय सुरक्षा ऐसा क्यों है कि चीन को लाल आँख दिखाने की बात करने वाले प्रधानमंत्री ने उसे 2020 में क्लीन चिट दे दी, जबकि वह आज भी हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा करके बैठा है? चीन के साथ 18 बैठकें हुई हैं,फिर भी वह क्यों आक्रमक रवैया अपनाते हुए हमारी पवित्र भूमि से वापस नहीं जा है?2020 से चीन द्वारा नियंत्रित 1,500 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर आपकी चुप्पी राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर आपकी विफलता को बयां करती है।यहां तक कि जब चीन अधिक आक्रामक हो रहा है और हमारी संप्रभुता को लेकर अनुचित मांग रखता है,तब भी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।आपकी सरकार के सत्ता में आने के नौ साल बाद भी कोई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति नहीं है। रक्षा ख़र्च कई दशकों के निचले स्तर पर है। ये कारण अलोकप्रिय अग्निपथ योजना जैसे विनाश कारी कदमों की ओर ले जाते हैं, जो प्रशिक्षण मानकों को कम करके और यूनिट की एकता को ख़तरे में डालते हैं।साथ ही इससे हमारे सशस्त्र बलों को कमज़ोर होने का जोख़िम रहता है। सामाजिक सद्भाव

ऐसा क्यों है कि आप चुनावी फ़ायदे के लिए जानबूझकर बंटवारे की राजनीति को हवा दे रहे हैं और समाज में डर का माहौल बना रहे हैं?नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर ने धर्म के आधार पर भेदभाव करने की कोशिश की,भले ही सभी धर्मों के नागरिकों ने प्रशासनिक गड़बड़ी की कीमत चुकानी पड़ी हो।आपकी पार्टी के सदस्यों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और कमज़ोर वर्गों के ख़िलाफ़ हिंसा को भड़काया। इससे कारण 2014 के बाद से नफ़रत से संबंधित अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है।आप चुनावी लाभ के लिए विभाजन को प्रोत्साहित करते हैं और हिंसा की उन घटनाओं पर अक़्सर चुप रहते हैं, जो उग्र हो जाती हैं। दिल्ली, मणिपुर और अन्य स्थानों पर हिंसा के मामलों में आपने ऐसा ही किया। सामाजिक न्याय ऐसा क्यों है कि आपकी दमनकारी सरकार सामाजिक न्याय की नींव को ध्वस्त कर रही है? महिलाओं, दलितों,SC,ST, OBC और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हो रहे अत्याचारों पर आप चुप क्यों हैं?जाति जन गणना की मांग को क्यों नजर अंदाज कर रहे हैं?2014 के बाद से दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचारों में 23% की वृद्धि हुई है।ये आंकड़े दलितों के प्रति आपके प्रेम को दिखाने के लिए काफी हैं। जातिगत जन गणना या 2011 की सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़े जारी करने से इंकार करना दर्शाता है कि आप ओबीसी सशक्तिकरण को लेकर कितने गंभीर हैं। वन अधिकार अधिनियम को कमज़ोर करना आदिवासी समुदाय के प्रति आपकी संवेदनहीनता को दिखाता है। आपने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बहुत ज़रूरी छात्रवृत्ति कम कर दी है। महिलाओं के खिलाफ अपराध 2013 में3,1लाख से बढ़कर 2021में 4.2लाख हो गए हैं।लोकतांत्रिक संस्थाएं ऐसा क्यों है कि पिछले 9 सालों में संवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमज़ोर किया गया है?विपक्षी दलों और नेताओं के ख़िलाफ़ बदले की भावना से कार्रवाई क्यों की जा रही है?क्यों जनता द्वारा चुनी हुई विपक्षी दलों की कई सरकारें गिराई गई? अरुणाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और मणिपुर में धन-बल का दुरुपयोग करके चुनी हुई सरकारों को गिराना लोकतंत्र के प्रति आपके सम्मान को दर्शाता है।जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।2014 के बाद से सीबीआई और ईडी के 95% मामले उन राजनेताओं के ख़िलाफ़ हैं,जो विपक्षी दलों के हैं।जब से आप प्रधान मंत्री बने हैं, संसद की बैठक के दिन लगातार कम हो रहे हैं, जैसे जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब विधानसभा की  बैठक भी कम होती थी। जन कल्याण की योजनाएं ऐसा क्यों है कि बजट में कटौती करके मनरेगा जैसी जन कल्याण की योजनाओं को कमज़ोर किया गया ग़रीब, आदिवासी एवं जरूरतमंदों के सपनों को क्यों कुचला जा रहा है? COVID-19 महामारी के दौरान देश के ग़रीबों को राहत देने में मनरेगा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, आपने कभी भी यूपीए के समय की इन महत्वपूर्ण योजनाओं पर भरोसा नहीं जताया।यहां तक आपने संसद में मनरेगा का मज़ाक भी उड़ाया। क्या इसीलिए आपने मनरेगा के आवंटन में कटौती की है और काम के दिनो की संख्या कम कर दी है? आपकी बहुचर्चित उज्ज्वला योजना विफल रही है, क्योंकि बहुत कम लोग1,103 रुपए प्रति सिलेंडर के हिसाब से रसोई गैस ख़रीद पा रहे हैं। हाल के वर्षों में बच्चों के कुपोषण में वृद्धि हुई है और खुले में शौच मुक्त ज़िलों के दावे स्पष्ट रूप से वास्तविकताओं से बहुत दूर हैं।

कोरोना मिस मैनेजमेंट ऐसा क्यों है कि कोरोना के कारण 40 लाख लोगों की मौत के बाद उनके परिवारों को मुआवजा देने से मना कर दिया गया?क्यों अचानक लॉकडाउन करके लाखों कामगार साथियों को घर जाने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया?आपकी सरकार ने कोविड-19 को लेकर राहुल गांधी की शुरुआती चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया।फिर जब हालात बिगड़े तब दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाया गया। जिससे हमारी तिमाही जीडीपी 21% गिर गई और एक ख़तरनाक मानवीय संकट पैदा हो गया। चार करोड़ प्रवासी श्रमिक भाई-बहन सड़कों पर आ गए। पहली लहर के बाद समय से पहले ही जीत की घोषणा कर दी गई।इस वजह से विनाशकारी दूसरी लहर के लिए ठीक से तैयारी नहीं हुई और भारत गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।WHO के अनुसार पर्याप्त ऑक्सीजन, दवाइयों और हॉस्पिटल बेड्स की कमी के कारण भारत में COVID-19 से सबसे अधिक 47 लाख लोगों की मौत हुई है।इस बीच आपकी सरकार ने आंकड़ों में हेराफेरी की।यह दावा किया गया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की मौत नहीं हुई है। साथ ही ये भी कहा गया कि इसकी कोई जानकारी नहीं है कि महामारी में कितने प्रवासी,पुलिस कर्मी और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स मारे गए।

पत्रकारवार्ता से पूर्व सर्व प्रथम भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व जवाहरलाल नेहरू की उनसठवीं पुण्यतिथि के अवसर पर उपस्थित कांग्रेस जनों ने पूर्व प्रधानमंत्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित किया। 

पत्रकारवार्ता की शुरुआत में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रांतीय अध्यक्ष पूर्व विधायक अजय राय ने राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दूबे जी को अंगवस्त्रम प्रदान कर स्वागत किया। मोदी सरकार के नौ साल के कुशासन के उपलक्ष्य में एक बुकलेट भी जारी किया जिसमें विस्तार से मोदी सरकार के नौ सालों के कार्यकलाप से जुड़े विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछा।राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दूबे ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र मोहनसराय के बैढ़न गांव में ट्रांसपोर्ट नगर के नाम पर किसान भाइयों के साथ हुए बर्बरता पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मोदी जी क्या यही आपका गुजरात मॉडल है।किसान भाइयों की जमीन उनकी जीवन रेखा होती है।कांग्रेस ने भूमि अधिग्रहण कानून में किसान भाइयों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए जो कानून बनाए थे,आखिर आप ने चुपचाप उनमें संशोधन कर किसको फायदा देने की कोशिश कर रहे हैं।किसान भाइयों के साथ हुए इस बर्बर अपराध के लिए कांग्रेस पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है तथा किसान भाइयों के न्याय मिलने तक किसान भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। इस बीच पत्रकारवार्ता में बैढ़न गांव के कुछ किसान भाई भी आए थे, जिनको पुलिस ने बर्बर तरीके से पीटा था,इनमें कुछ किसान भाइयों के हांथ,पैर,आखों में गंभीर चोटें भी आई थी। किसानों ने इस बीच अदालत से उनके पक्ष में आए आदेश की कॉपी लेकर आए थे।

पत्रकारवार्ता मे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रांतीय अध्यक्ष पूर्व विधायक अजय राय, अनिल श्रीवास्तव, राजेश्वर सिंह पटेल, राघवेंद्र चौबे, पार्षद प्रिंस राय, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, फसाहत हुसैन बाबू,संजीव सिंह, डॉ अरविंद किशोर राय, शैलेंद्र सिंह, डॉ नृपेन्द्र नारायण सिंह, ओम प्रकाश ओझा, मनीष मोरोलिया, अरुण सोनी, विनोद सिंह, राजीव राम, विकास कौंडिल्य, मोहम्मद उजेर, आशिष गुप्ता, रोहित दुबे, परवेज खान, चक्रवर्ती पटेल, किशन यादव,आदिल आदि उपस्थित थे।