Kashi ka News. मनुष्य को शास्त्र और शस्त्र दोनों का ज्ञान होना आवश्यक है- आचार्य पुंडरीक गोस्वामी

मनुष्य को शास्त्र और शस्त्र दोनों का ज्ञान होना आवश्यक है- आचार्य पुंडरीक गोस्वामी

ब्यूरो आनंद सिंह अन्ना 

वाराणसी। दिनांक 28 जुलाई, 34 वीं वाहिनी पीएसी भुल्लनपुर वाराणसी परिसर में स्थित 'पिनाक मंडपम' में आचार्य पुंडरीक गोस्वामी ने जवानों एवं उनके परिवारजनों को जीवन जीने की कला एवं वे किस प्रकार से शास्त्र और शस्त्र के समन्वय द्वारा संविधान प्रदत्त शक्तियों का सम्यक प्रयोग कर अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर सकते हैं के बारे में बताया। वाहिनी में आगमन पर डॉ राजीव नारायण मिश्र, आईपीएस, सेनानायक, 34 वीं वाहिनी पीएसी वाराणसी द्वारा आचार्य जी का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। 

आचार्य पुंडरीक गोस्वामी ने अपने उद्बोधन में गीता के श्लोको के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को बताया कि एक बल के रूप में हम किस प्रकार से सेवा भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन, निर्धारित नियमों के अंतर्गत, बिना दुविधा के सही निर्णय के साथ समान भाव से कर एक सुदृढ़ एवं संकल्पबद्ध सभ्य समाज के निर्माण में अहम योगदान दे सकते हैं। गोस्वामी जी ने कम समय में ही जवानों एवं उनके परिवारजनों को अत्यंत ही सटीक तरीके से गीता के मूल सिद्धांतों के अनुरूप शस्त्र को शास्त्र के साथ जोड़ने का उद्धारण जवानों को देते हुए जीवन जीने की कलाओं, सुदृढ़ सामाजिक ढांचों के निर्माण के गुण एवं कौशल के बारे में अत्यंत ही वृहद एवं गहरा ज्ञान उद्धरित किया‌। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों की भूमिका एक मजबूत, सुदृढ़ एवं संकल्पबद्ध सभ्य सामाजिक ढांचे के निर्माण हेतु अतिमहत्त्वपूर्ण है। गीता में लिखा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को शस्त्र एवं शास्त्र दोनों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है, इस कथन पर आप लोग खरे उतरते हैं। आप लोगों को शस्त्र के साथ-साथ शास्त्र का भी ध्यान रखना अति आवश्यक है। शस्त्र एवं शास्त्र दोनों अपने अपने स्थान पर हमारे समाज से बुराइयों एवं कुरीतियों को खत्म करने के लिए अति आवश्यक हैं। आप लोगों का दायित्व निर्भय एवं सभ्य समाज का निर्माण करना है। 

अंत में सेनानायक डॉक्टर मिश्र ने आचार्य का हृदय से आभार एवं धन्यवाद प्रकट किया। 

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अरुण सिंह सहायक सेनानायक, शिवनारायन सैन्य सहायक, अजय प्रताप सिंह, शिविर पाल, गोपाल दूबे सूबेदार, विंध्यवासिनी पांडेय व वाहिनी के अन्य अधिकारी, कर्मचारीगण तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं श्रोतागण उपस्थित रहे।