Kashi ka News राष्ट्र भाषा हिन्दी के उन्नायक लक्ष्मीकांत झा ने हिन्दी को जन जन तक पहुँचाया

राष्ट्र भाषा हिन्दी के उन्नायक लक्ष्मीकांत झा ने हिन्दी को जन जन तक पहुँचाया।

ब्यूरो चीफ आनन्द सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 25 नवम्बर, मैथिल समा उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित महान अर्थशास्त्री रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर, जम्मू कश्मीर में भारत के पूर्व राज्यपाल और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत पं एलके झा (आई. सी.एस) कि 109 वीं जयंती समारोह हिन्दी दिवस के रूप में मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में मनाया गया। 
कार्यक्रम कि शुरुआत मुख्य अतिथि बीएचयू हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो वशिष्ट अनूप और आगत अतिथियों द्वारा स्व.पं एलके झा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। 
समारोह में बीएचयू हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार प्रो वशिष्ट अनूप,हिन्दी खड़ी बोली के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के वंशज दिपेश चन्द चौधरी और बीएचयू हिन्दी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रभात कुमार मिश्रा को हिन्दी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। 
मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए प्रो बशिष्ट अनूप ने कहा कि पं एलके झा महान अर्थशास्त्री थे, रिजर्व बैंक के अबतक के सबसे महान गवर्नर थे। अपने जीवन काल में भारत के लगभग सभी प्रधानमंत्रीयों के आर्थिक सलाहकार रहे,1967 से 1970 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे,सन 1964-66 पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के मुख्य सचिव रहे,1981-1984 पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के मुख्य सचिव रहे,सन 1977-78 पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के आर्थिक सलाहकार रहे। 
हिन्दी भाषा के लिए उनके दिल में अपार प्रेम हिलोरे मारता था इसी का परिणाम था कि 2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गाँधी के जन्म शताब्दी के अवसर पर भारतीय नोटों रुपये 2,5,10 और 100 को जारी कर भारतीय इतिहास में पहली बार हिन्दी में हस्ताक्षर कर राष्ट्र भाषा को जन जन के मन में प्रतिष्ठित कर दिया। 
समारोह कि अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डा अत्रि भारद्वाज ने कहा कि एलके झा थे तो अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ लेकिन हिन्दी के प्रति उनके मन में श्रद्धा थी इस बात का प्रमाण उनकी लिखित पुस्तक "राजनीति का क-ख-ग" और "मैने कहा" से मिलता है। दोनों पुस्तक में एलके झा ने राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रति अपने प्रेम को दर्शाया है क्योंकि उस समय उर्दू का बोलबाला था और हिन्दी उस स्थित में नही था जो आज है।
समारोह में मुख्य वक्ता के पद से बोलते हुए बीएचयू हिन्दी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रभात कुमार मिश्रा ने कहा कि लन्दन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय जैसे पाश्चात्य शैली के विश्वविद्यालय में पढ़ने के बाद भी हिन्दी के प्रति उनका लगाव काबिलेतारीफ था। लक्ष्मीकांत झा जब सन 1970 से 1973 तक जब वो अमेरिका में भारत राजदूत थे तब भी वो दूतावास में अपने अधीनस्थों से हिन्दी में ही बात करते थे। भारतीयों के लिए यह गर्व कि बात है कि लक्ष्मीकांत झा सन 1957-1958 में अन्तर्राष्ट्रीय संस्था जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एण्ड ट्रेड प्रथम चेयरमैन थे। सन 1986 में राज्य सभा के सदस्य रहने के दौरान भी उन्होंने हिन्दी की आवाज को संसद में उठाया था। सच्चे अर्थों लक्ष्मीकांत झा हिन्दी के माथे कि बिन्दी थे।
कार्यक्रम का संयोजन और संचालन गौतम कुमार झा एडवोकेट, स्वागत संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा एडवोकेट ने और धन्यवाद ज्ञापन डा विजय कपूर ने किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के सदस्य विनोद पाण्डेय कि गरिमामयी उपस्थित रही।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पं राजेन्द्र त्रिवेदी, सुधीर चौधरी, भोगेन्द्र झा, शिवेन्द्र पाठक, हरिमोहन पाठक, मुरलीधर सिंह, दीपक राय, अशोक तिवारी आदि लोग शामिल थे।