Kashi ka News. प्रभू ने अंत समय में भीष्म पितामह को दर्शन देकर उनका उद्धार किया-आदित्य शास्त्री

प्रभू ने अंत समय में भीष्म पितामह को दर्शन देकर उनका उद्धार किया-आदित्य शास्त्री 

ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना

वाराणसी। दिनांक 28 अप्रैल, श्री शुद्धाद्वैत जप यज्ञ समिति वाराणसी के तत्वाधान मे श्री वल्लभाचार्य प्राकट्य महोत्सव के अवसर पर दिव्य 108 वां श्रीमद् भागवत सप्ताह मे आज कथा मर्मज्ञ भागवत भूषण पंडित आदित्य शास्त्री महाराज ने व्यास पीठ से कहा कि कुन्ती जी की स्तुति से सिखने को मिलता है, जो अवकृपा में कृपा का दर्शन करे, वही सच्चा वैष्णव है। कुंती जी ने प्रभु से दुःख की कामना की है क्योंकि दुःख जब आता है वह प्रभु की याद दिलाता है, सुख में मानव प्रभु को सहज ही भूल जाता है। कुंती जी को दुःख से प्रेम नही था किंतु दुःख में प्रभु का नाम जिव्हा पर आता है इसलिए दुःख मांगा है, साथ ही कथा में भीष्म पितामह को प्रभु ने उनके अंत समय में दर्शन देकर उनका उद्धार किया। 

महाराज जी ने आज के कथा के साथ ही राजा परीक्षित के जन्म कथा कहकर दूसरे दिवस की कथा को विराम दिया। 

इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष गोस्वामी कल्याण राय महाराज ने प्रभु के दो स्वरूप और नाम की व्याख्या करते हुए कहा की श्रीमद् भागवत का स्वरूप पूर्ण ब्रह्म श्री कृष्ण का ही है जितने गुण भगवान में विराजमान है, उतने ही गुण और समर्थ श्रीमद् भागवत पुराण में भी निहित है, जैसे भगवान फल आत्मक हैं वैसे ही उनका नाम रूपी यह ग्रंथ फल देने में समर्थ है धर्म संबंधी किसी भी संशय का भागवत जी निवारण करते हैं। वेद गीता ब्रह्म सूत्र के ही समान यह भागवत पुराण किसी भी विषय को सिद्ध करने की एक प्रमुख कसौटी है।