Kashi ka News. ज्ञानवापी के लिए सनातनी मजबूती नहीं खड़े हुए तो शासन भी मदद नहीं कर सकेगा- जितेंद्रानन्द

ज्ञानवापी के लिए सनातनी मजबूती नहीं खड़े हुए तो शासन भी मदद नहीं कर सकेगा- जितेंद्रानन्द

ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना

वाराणसी। दिनांक 26 अप्रैल, वाराणसी अपनी सांस्कृतिक धरोहर को वापस लेने की लड़ाई सिर्फ ज्ञानवापी तक नहीं है, वाराणसी में लाट भैरव, बिंदू माधव, कृत्तिवासेश्वर को भी मुक्त कराएंगे। यह बातें ज्ञानवापी मुकदमों के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहीं। श्री आदि विश्वेश्वर मुक्ति विद्वत संघ की ओर से शुक्रवार को गोलघर स्थित पराड़कर स्मृति भवन के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर उन्होंने कहा कि काशी के पांच कोश का अविमुक्त क्षेत्र मुक्त हो इसी कामना के साथ काम कर रहे हैं। अपने ध्वंस आराध्य स्थलों की मुक्ति में कानूनी अड़चनें व समाधान की पहल विषयक संगोष्ठी में विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सनातन संस्कृति को पुनः स्थापित करने का मिशन चल रहा है। इसके तहत ज्ञानवापी व मधुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा चल रहा है। भोजशाला में मां सरस्वती के मंदिर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे चल रहा है। कुतुब मीनार का मुकदमा चल रहा है और बंगाल में अदीना मस्जिद को चुनौती की तैयारी चल रही ही। ऐसे 12 मामलों की फाइल तैयारी हो चुकी हैं जहां पर हमारे मंदिरों में जबरन नमाज पढ़ा जा रहा है। प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी गई है। वक्फ एक्ट को लेकर कई याचिकाएं दाखिल किए हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की जांच होनी चाहिए। अगर जांच में स्पष्ट होता है कि यह शिवलिंग है तो हमें तुरंत पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। 

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेन्द्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अदालतें हमेशा शक्तिशाली की बातें सुनती हैं। ज्ञानवापी के लिए काशी के सनातनी हिंदू मजबूती से नहीं खड़े हुए तो शासन भी मदद नहीं कर सकेगा। वक्फ एक्ट की आड़ में जमीनें हथियाई जा रही हैं। लगभग आधा पंजाब में की जमीन वक्फ बोर्ड की है। कोई भी मठ मंदिर हम वापस नहीं ले पाएं इसलिए प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट बनाया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदू युवा वाहिनी के अम्बरीश सिंह भोला एवं संचालन सोहनलाल आर्य ने किया।

इस अवसर पर समारोह में स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, अम्बरीष सिंह भोला, राहुल सिंह, गोविंद दास शास्त्री, अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी, अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी, अधिवक्ता दीपक सिंह, तुलसी सुब्रह्मण्यम जोशी को सम्मानित किया गया।