Kashi ka News. प्रशिक्षु योजना का विस्तार एवं त्रैमासिक सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखा गया- प्रो हरिप्रसाद

प्रशिक्षु योजना का विस्तार एवं त्रैमासिक सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखा गया- प्रो हरिप्रसाद 

ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना

वाराणसी। दिनांक 28 अप्रैल , सम्पूर्णानन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थापित भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र समन्ध्रयक समिति की बैठक समन्वयक प्रो हरिप्रसाद अधिकारी की अध्यक्षता में आज विज्ञान भवन के द्वितीय तल में स्थित भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र में संपन्न हुई। 

प्रो अमित शुक्ल ने कहा भारतीय वैदिक ज्ञान के लुप्त हो रहे प्रकल्पों की रक्षा, केंद्र द्वारा शिल्प शास्त्र के प्रयोग वेदियो के निर्माण की प्रक्रिया का प्रदर्शन अद्भुत है। प्रो रामपूजन पाण्डेय ने कहा यज्ञीय कुण्डों का स्वरूप कैसा होना चाहिए इसको प्रायोगिक रूप से दर्शाया गया है, केंद्र में 64 कलाओं को भी सचित्र माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है। प्रो कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा केंद्र में चतुःषष्टी कलाओं से सम्बन्धित जो कार्य हो रहे हैं वह प्रशंसनीय है। समिति द्वारा केंद्र में हो रहे शिल्पशास्त्र संबंधित अनुसंधान कार्यों की समीक्षा की गई प्रधान गवेषक ने केंद्र के प्रयोगशाला में 11,500 काष्ठ इष्टिकाओं द्वारा निर्मित सुपर्णचिति के पांचों प्रस्तर के भौतिक स्वरूप को समिति के सदस्यों के समक्ष उपस्थापित किया। सदस्यों ने भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र में हो रहे शोध कार्यों की समीक्षा किया केंद्र के प्रधान गवेषक के द्वारा अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यों को प्रस्तुत किया गया तथा केंद्र में हो रहे आयोजनों एवं गतविधियों को विस्तार से बताया। जिसमें अभी तक 24 पांडुलिपियों पर शोध कार्य पूर्ण हो चुके हैं। शिल्पकला व्याख्यानमाला के अंतर्गत 30 व्याख्यानों की परिकल्पना है जिनमे अब तक 15 व्याख्यान संपन्न हुए हैं, 10 ग्रंथों पर टीकालेखन, तथा शोधपत्र लेखन का भी कार्य केंद्र द्वारा संचालित है। पांडुलिपियों के अनुलेखन एवं टीकालेखन के लिए प्रशिक्षु योजना भी संचालित है। 

प्रधान गवेषक डॉ ज्ञानेंद्र सापकोटा ने केंद्र के प्रस्तावित भविष्य के कार्ययोजनाओं का भी चर्चा किया। समिति की बैठक में प्रशिक्षु योजना का विस्तार एवं त्रैमासिक सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखा गया समिति द्वारा इसकी संस्तुति की गई।

बैठक में मुख्य रूप से प्रो रामपूजन पाण्डेय, प्रो सुधाकर मिश्र, प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो कमलाकांत त्रिपाठी, डॉ रविशंकर पाण्डेय, डॉ विजेंद्र कुमार आर्य, डॉ दुर्गेश कुमार, डॉ विजय कुमार शर्मा, डॉ ज्ञानेन्द्र साँपकोटा, अनुसन्धाता डॉ जयन्तपति त्रिपली, डॉ आशीष मणि त्रिपाठी, डॉ वेद प्रकाश गौतम, डॉ शांति मिश्र, अल्पेश दवे, बसंत कोराला, सुमन नोराला, रत्मेश कुमार शर्मा, अविनाश ठाकर, सुदर्शन गौतम आदि उपस्थित रहे।