Kashi ka News चंद्रा साहित्य परिषद (ट्रस्ट) ने "चंद्रा हिंदी श्री सम्मान 2024" से किया शिक्षकों को सम्मानित
चंद्रा साहित्य परिषद (ट्रस्ट) ने "चंद्रा हिंदी श्री सम्मान 2024" से किया शिक्षकों को सम्मानित।
वाराणसी। दिनांक 22 सितम्बर, हिंदी दिवस की अवसर पर चंद्रा साहित्य परिषद कार्यालय, प्रभात नगर, इंदिरा नगर समीप चितईपुर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों को अंग वस्त्रम् और पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जाने-माने गीतकार परमहंस तिवारी परम, उपमुख्य अतिथि गिरीश पांडे बनारसी, विशिष्ट अतिथि द्वय नाथ सोनांचली और संतोष कुमार प्रीत रहे। अध्यक्ष काशिका के सुप्रसिद्ध व्यंगकार दीपक दबंग तथा संचालन की भूमिका में सिद्ध नाथ शर्मा सिद्ध रहे।
दिनेश चंद्र ने "हम सब का सम्मान है हिंदी, हम सब का अभिमान है हिन्दी। देश मे सबको जोड़े है जो भाषा, अखंड भारत की शान है हिंदी" सुनाकर हिंदी दिवस को सार्थक बनाया।
आईएजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ कैलाश सिंह विकास, वरिष्ठ पत्रकार और डॉ सुभाष चंद्रा के गरिमामयी उपस्थिति में सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ और रात तक चलता रहा। जहाँ डॉ छोटे लाल मनमीत की सुरीली रचना "जुर्म का हाथ लम्बा हुआ है। तब कहीं जाके दंगा हुआ है"II तालियां बजाने को मजबूर कर दीं वहीं माधुरी मिश्रा "याद उसको मैं आना नही चाहती। फिर भी उसको भुलाना नही चाहती। श्रोताओं ने खूब सराही इसके बाद डॉ सुभाष चंद्रा की कविता "गिरीपति मेरा मन निश्चल, गिरिराज सहारा क्या होगा। परम हंस तिवारी परम की रचना विषय परिवर्तन करते हुए कहा कि "रोज मनेगा हिन्दी उत्सव नहीं मनाएंगे पखवाड़ा ने सुनाया"। सिद्ध नाथ शर्मा सिद्ध "बात समझ ना पाया कैसे राम लिखा पत्थर उतराये पानी में" और नाथ सोनांचली के-"कौरव की इस भरी सभा में, चीर बढ़ाने वाले, मेरी रक्षा ख़ातिर अब वो, कृष्ण न आने वाले" तथा संतोष प्रीत की रचना अक्षरो का ले सहारा, हृदय के उद्गार लिखना, कवि सम्मेलन को ऊँचाई प्रदान की। साधना शाही ने "हिंदी भाषा है आन हमारी, भारतीय इस पर हैं बलिहारी"। एवं दीपक दबंग ने जब रोजी "रोटी हिंदी होगी। हिंदी माथे की बिंदी होगी" सुनाकर नई ऊर्जा सबमें भर दी। अखलाक भारतीय की रचना "शौर्य पूर्ण बलिदान त्याग की मैं अद्भुत परिभाषा हूँ, मैं परमवीर चक्र हर सैनिक के जीवन की अभिलाषा हूँ" देश भक्ति सबमें जगा दिया। गिरीश पांडेय की कविता "विदेशों में भारत की पहचान हिन्दी, हमारे वतन के लिए शान हिन्दी" सुनाकर वाह वाही लूटी। डॉ महेंद्र नाथ तिवारी अलंकार ने"हिन्दी भवन के सामने हिन्दी खड़ी मिली, मांँ भारती के पाँव में बेड़ी पड़ी मिली" सुनाकर सबको हिंदी की दशा पर सोचने को मजबूर कर दिया।
कवि राम नरेश "नरेश" की रचना "हिंदी बिंदी भारत माँ की" गीत सुनाकर कवि सम्मेलन को समापन की ओर पहुंचाए।
इन कवियों के साथ अन्य कवि जिनमें डॉ वत्सला, उषा पांडेय, मधुलिका राय, सुषमा मिश्रा, संध्या मौर्या, जौनपुर से आईं संगीता मिश्रा और सविता राय, झरना मुखर्जी आदि कवियों/कवयत्रियों ने अपनी रचनाओं तथा गीत गजलों से इस सम्मेलन को सफल काव्य मय बना दिया।
इनके अलावा बड़ी संख्या में समाज सेवी पत्रकार आनंद सिंह अन्ना, विशाल चौरसिया भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर के विशिष्ट सेवाओं के लिए और हिंदी के विकास में योगदान के लिए इस हिंदी दिवस समारोह पर सभी कवियों को प्रशस्ति पत्र तथा माल्यार्पण कर "चंद्रा हिंदी श्री सम्मान-2024" से अलंकृत किया गया।
अतिथि कवियों, पत्रकारों, समाज सेवियों सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं. राम नरेश 'नरेश' ने कहा कि यह चंद्रा साहित्य परिषद (ट्रस्ट) आपका है। आज हिंदी दिवस पर अपनी साहित्यिक सेवाओं से राजभाषा को बढ़ावा देकर अपने देश के मस्तक को और ऊंचाई प्रदान कर हिंदी के प्रति समर्पित भाव से देश वासियों में हिंदी प्रेम जगाया है।
कार्यक्रम प्रभारी पूर्व वरिष्ठ राज भाषा अधिकारी डी डी यू रेलवे मंडल के दिनेश चंद्र ने आज के परिवेश में हिंदी की उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की I
अतिथि कवियो और आगन्तुकों के प्रति चंद्रा साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि इंजीनियर राम नरेश "नरेश" ने आभार व्यक्त किया और अंत में मधुर जलपान के साथ कवि सम्मेलन का समापन हुआ।