विधुत मज़दूर पंचायत की बैठक निजीकरण का पुरजोर विरोध करने का लिया निर्णय।
ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 30 नवम्बर, विधुत मज़दूर पंचायत उ0प्र0 के जिला कमेटी की आज भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर एक आपातकाल बैठक किया गया जिसमें यह निर्णय लिया गया कि निजीकरण नही करने का फैसला वित्तमंत्री सुरेश खन्ना एवं ऊर्जा प्रबन्धन की मौजूदगी में संघर्ष समिति उ0प्र0 के साथ लिखित समझौता में लिया जा चुका है उसके बाद भी ऊर्जा प्रबन्धन का पुनः निजीकरण करने का प्रस्ताव लाना घोर निंदनीय है और विधुतकर्मियो के साथ छलावा है जिसको ये कर्मचारी कतई बर्दाश्त नही करेंगे और निजीकरण का पुरजोर विरोध करेंगे।
इस मौके पर कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री के नारे को अपनाते हुए कि एक रहेंगे तो शेफ रहेंगे और मुख्यमंत्री के नारे को की बटेंगे तो कटेंगें को खूब जोर शोर से लगाया।
प्रांतीय कार्यवाहक महामंत्री डॉ आर बी सिंह ने बताया कि सन 2020 में एक याचिका के दौरान माननीय उच्च न्यायालय ने पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कंपनी की संपत्तियों का ऑडिट जैसे केंद्रीय सतर्कता आयोग या कुछ न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिती से कराने को कहा गया था किंतु बिना ऑडिट कराये निजीकरण का दुबारा निर्णय माननीय उच्च न्यायालय का अपमान करने वाला है। उस समय यह भी कहा गया है कि,कंपनी अधिनियम की धारा 139 के प्रावधानों के अनुसार,इनकी संपत्तियों के ऑडिट के लिए पहले ही विशेष ऑडिटर नियुक्त किया जा चुका है जिसका रिपोर्ट अभी तक घोषित नही किया है। सिंह और सभी साथियों ने मुख्यमंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप कर निजीकरण के फैसले को व्यापक जनहित में निरस्त कराने की मांग की।
प्रांतीय उपाध्यक्ष आर के वाही ने बताया कि सन 2000 में मुख्यमंत्री के साथ जो समझौता हुआ था कि यदि एक साल के अंदर कारपोरेशन 77करोड़ के घाटे को रिकवर नही करता है तो पुनः इसको राज्य विधुत परिषद का गठन कर दिया जाएगा जिसकी आज जरूरत आन पड़ी है क्योंकि निजीकरण कोई समाधान नही अपितु आमजनमानस के लिए महंगी बिजली का दंश झेलने वाली समस्या है इसलिए ऊर्जा प्रबन्धन से आग्रह करता है कि पुनः राज्य विधुत परिषद का गठन कर इस विभाग को अच्छी स्थिति में लाने का न्यायउचित कार्य करें।
प्रांतीय अतिरिक्त महामंत्री ओ पी सिंह ने कहा कि आये दिन हमलोग यह बात राज्य सरकार और ऊर्जा प्रबन्धन से कह रहे है कि आप 5साल के लिए यह विभाग की बाग डोर संघर्ष समिति को दे दिया जाए और घाटा कम नही होता है तो आप जो चाहे निर्णय ले हमे मंजूर होगा जैसे आपलोगो ने अलग प्रयोग/अथक प्रयास किया है इसका घाटा कम करने के लिए तो चांस संघर्ष समिति को देकर एक प्रयोग और कर लिया जाए।
सभा को डॉ आर बी सिंह, आर के वाही, ओ पी सिंह, विजय सिंह, जिउतलाल, नरेंद्र शुक्ला, मोनिका केशरी, नेहा, गुलाबचंद, विकास कुशवाहा, रामजी भारद्वाज, पंकज कुमार, अंकुर पाण्डेय आदि ने संबोधित किया।