स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगत सिंह गौरव गाथा की गुंज पहुंची पश्चिम बंगाल।
ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 25 जनवरी, बाबू जगत सिंह के गौरव गाथा की गूंज पश्चिम बंगाल तक पहुंची, 40 बेड का वार्ड बना, मुख्य द्वार पर शिलापट्ट लगा, देश की आजादी के लिए शहीद काशी के वासी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगत सिंह के अनकही सच के गौरव गाथा की गूँज पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है।
सेवियर होलिस्टिक इंटरनेशनल ट्रस्ट कोलकाता ने बोलपुर शांति निकेतन स्थित अपने आरोग्य हॉस्पिटल में 40 बेड का वार्ड शहीद बाबू जगत सिंह के नाम पर बनवाया है और मुख्य द्वार पर उनके नाम का अंग्रेजी व बंगला भाषा में शिलापट्ट लगवाया है। अस्पताल का यह वार्ड नेत्र रोगियों की नि:शुल्क सेवा के लिए समर्पित है। इसका लोकार्पण रविवार को ट्रस्ट के वार्षिकोत्सव समारोह में किया गया।
इस अवसर पर विस्मृत जननायक के सच का उजागर करने वाले बाबू जगत सिंह शोध समिति के सदस्यों में सर्वश्री प्रदीप नारायण सिंह, अशोक आनंद, मेजर डॉ अरविंद कुमार सिंह व अरविंद कुमार सिंह एडवोकेट को अस्पताल के निदेशक डॉक्टर भास्कर देव मुखोपाध्याय ने सम्मानित किया। वे वाराणसी के रामकृष्ण मिशन अस्पताल से भी सम्बद्ध है।
समारोह को संबोधित करते हुए देश के प्रख्यात नेत्र सर्जन डॉक्टर भास्कर देव ने बताया कि वर्ष 1935 में उनके पिता डॉ गोपाल देव मुखोपाध्याय द्वारा स्थापित ट्रस्ट के सेवा कार्य का विस्तार करते हुए वीर भूमि (पश्चिम बंगाल) जनपद की पावन धरा शांति निकेतन में आरोग्य हॉस्पिटल का निर्माण कराया है, जो बाबू जगत सिंह राज परिवार के प्रति कृतज्ञता भाव से समर्पित है। देश बाबू जगत सिंह को युगों-युगों तक स्मरण करता रहेगा।
इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए मेजर डॉ अरविंद कुमार सिंह ने कहा 14 जनवरी 1799 को ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ की गई बगावत का अंतिम सिरा गंगासागर कोलकाता से भी जुड़ता है, जहां आजीवन कारावास की सजा पाए बाबू जगत सिंह ने जल समाधि ली थी।
उल्लेखनीय है कि सारनाथ स्थित धर्मराजिका स्तूप से ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 225 वर्ष पुराने बाबू जगत सिंह से सम्बंधित गलत तथ्यों को संशोधित कर नया शिलापट्ट लगाया गया है और लहुराबीर क्वींस इण्टर कॉलेज के समीप रोड पर शहीद बाबू जगत सिंह के नाम पर भव्य द्वारा बनाया गया है। अनकही इतिहास का सच अब देशवासियों के समक्ष आने लगा है। शोध समिति ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि शहिद अन्य हजारों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों का सच सामने लाया जाए और आने वाली पीढियों को भारतीयों की गौरव गाथा से प्रेरित किया जाए।