स्वतंत्रता व गणतंत्र एक दूसरे के पूरक- डॉ विनोद राव पाठक
ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 27 जनवरी, गणतंत्र दिवस हमारे देश की सैकड़ों भाषाओं, परंपराओं और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है। संविधान हमें एक राष्ट्र के रूप में साथ रहने का खाका देता है, यह सुनिश्चित करता है कि हर भारतीय की न्याय, स्वतंत्रता और समानता तक आसान पहुंच हो। उक्त बातें गणतंत्र दिवस पर दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित संस्कृत के विद्वान डॉ विनोद राव पाठक ने कही।
अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य डा. गणेश दत्त शास्त्री ने अपने सम्बोधन में कहा की भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है 26 जनवरी,जिस दिन भारतीय संविधान लागू हुआ था। इसी ने भारत देश कों एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया। भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली लेकिन संविधान को अपनाने से ही हम वास्तव में एक कानूनी ढांचे के तहत एकजुट हुए। इसलिए स्वतंत्रता व गणतंत्र एक दूसरे के पूरक हैं। यह संविधान हमें मार्गदर्शन देता है, सभी के लिए समानता, न्याय और स्वतंत्रता को भी सुनिश्चित करता है।
प्रारम्भ में अतिथियों ने महाविद्यालय के प्रांगण में तिरंगा फहराया, बटुकों ने सामूहिक रूप से मांगलाचरण का पाठ किया। विशिष्ट अतिथिद्वय के रूप में डॉ श्रीराम पांडेय व डॉ शेषनारायण मिश्र रहे। संचालन संस्था के प्राचार्य डॉ पवन कुमार शुक्ल ने व धन्यवाद ज्ञापन विकास दीक्षित ने दिया। स्वागत अशोक पाण्डेय ने किया।
इस मौक़े पर विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति दिया।