इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से आए पर्यटकों के समूह ने जगतगंज कोठी का भ्रमण किया
ब्यूरो चीफ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 23 फरवरी, टूर मैनेजर मणिकांत जैन का मानना है किसी देश की विरासत और संस्कृति को जानने के लिए, किसी व्यक्ति को कुछ बताने से बेहतर है कि उसे स्थानीय लोगों से मिलवाया जाए। भारत वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास करता है और हमारी संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में गिनी जाती है। काशी आने का यही मुख्य उद्देश्य है। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आए इक्कीस सदस्यीय पर्यटकों का एक समूह शनिवार को वाराणसी पहुंचा।
शाम के सत्र में अपने टूर मैनेजर मणिकांत जैन के नेतृत्व में यात्रियों का समूह रिक्शा की सवारी का आनंद लेते हुए बाबू जगत सिंह की कोठी पहुंचा। जहां शोध समिति के सदस्य प्रदीप नारायण सिंह और डॉ. (मेजर) अरविंद कुमार सिंह ने अपनी पूरी टीम के साथ समूह का स्वागत किया।
टूर मैनेजर एवं टूरिस्ट गाइड अशोक वर्मा ने 1799 में बाबू जगत सिंह के नेतृत्व में काशी में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह का विस्तृत ब्यौरा दिया। प्रदीप नारायण सिंह ने समूह को कोठी का भ्रमण कराया तथा शोध समिति के तहत प्राप्त महत्वपूर्ण दस्तावेजों से सभी को परिचित कराया।
रविवार को सुबह के सत्र में यात्रियों के समूह ने काशी की गलियों में हेरिटेज वॉक की, वहीं शाम के सत्र में सभी ने सारनाथ में सैर की तथा आवश्यक जानकारी हासिल की। गलियों में घूमते हुए समूह क्षेमेश्वर घाट, केदार मंदिर, हरिश्चंद्र घाट होते हुए अस्सी घाट पहुंचा। इसके बाद पूरे समूह ने नौका विहार का आनंद लिया। दिल्ली प्रवास के दौरान दल ने बिड़ला भवन, जामा मस्जिद, इंडिया गेट, कुतुब मीनार, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन तथा बिड़ला मंदिर का भ्रमण किया। सोमवार दोपहर को दल खजुराहो के लिए रवाना होगा।