Kashi kaa News. राष्ट्रीय झण्डा भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संघर्षों का प्रतीक है- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.

राष्ट्रीय झण्डा भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संघर्षों का प्रतीक है- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा

ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना 

वाराणसी। दिनांक 30 मार्च, राष्ट्रीय झंडे का सम्मान और गौरव हमारे देश की शान और गर्व का प्रतीक है। यह ध्वज न केवल एक रंगीन कपड़ा है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संघर्षों का प्रतीक है।

उक्त विचार शनिवार को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने शासन से प्राप्त दिशानिर्देशों के आधार पर एनसीसी कैडेट्स के द्वारा भारतीय झण्डा संहिता 2002 (2021 एवं 2022 मे यथा संशोधित) तथा राष्ट्रीय गौरव सम्मान के अन्तर्गत एक वृहद् अभियान के अन्तर्गत व्यक्त किया।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय झण्डे में तीन रंग होते हैं केसरिया, सफेद और हरा। हर रंग का एक विशिष्ट प्रतीकात्मक अर्थ है- केसरिया रंग-यह ध्वज का ऊपरी रंग है, जो साहस, बलिदान, त्याग, तपस्या और राष्ट्रीय संघर्ष का प्रतीक है। सफेद रंग-सफेद रंग ध्वज के मध्य में स्थित है और यह शांति, सत्य, पारदर्शिता, शुचिता और एकता का प्रतीक है। हरा रंग- ध्वज का निचला रंग हरा है, जो आस्था, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है।

इसके अतिरिक्त, ध्वज के केंद्र में स्थित नीला अशोक चक्र धर्म, न्याय और सतत प्रगति एवं गतिशीलता का प्रतीक है। अशोक चक्र में 24 तीलियां जीवन के 24 गुणों को दर्शाती हैं । राष्ट्रीय झंडे का सम्मान करना हमारे देश की शान और गर्व का प्रतीक है। ध्वज के प्रयोग और उसे प्रदर्शित करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं। इसे कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए, न ही इसे किसी अन्य वस्तु से छूने देना चाहिए। तिरंगे को हमेशा ऊँची जगह पर फहराया जाता है और इसे सिर के ऊपर लहराना चाहिए। 

एनसीसी अधिकारी डॉ विजेंद्र कुमार आर्य ने गौरव सम्मान अभियान का नेतृत्व करते हुए कहा कि राष्ट्रीय झंडा हमारी माँ की तरह सदैव हमे झंडे के सम्मान करते रहना है।राष्ट्र जीवन मे सर्वोपरि है। उस दौरान एनसीसी के कैडेट्स सहित विश्वविद्यालय के अध्यापक, कर्मचारी, विद्यार्थियों ने सहभाग किया।