मनीषियों के मार्ग पर चल कर ही भारत विश्व गुरु बनेगा।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। दिनांक 28 अप्रैल, भारतीय मनीषा के कारण ही भारत को जगद्गुरु रहा और बड़े सौभाग्य का विषय है कि अब भारत एक बार पुनः उसी सनातन की परंपरा और मान्यता की ओर अग्रसर है, जो भारत को संपूर्ण विश्व में जगतगुरु का दर्जा दिलायेगा। राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र अखिल भारतीय मनीषी परिषद द्वारा बनारस घराना लान में आयोजित नव संवतसर के अभिनंदन कार्यक्रम मधु मंगल में बोल रहे थे।
उन्होंने पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या करने वाले आतंकवादियों की हरकत को कायराना बताया और उसकी घोर भर्स्तना करते हुए कहा कि भारत के साथ ऐसा करने वाले आतंकवादियों और उनको बढ़ावा देने वाला कोई भी हो उसे किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।
अति विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी ने कहा कि देश के मनुष्यों द्वारा किसी प्रकार के सत प्रयासों से देश पुराने गौरव और वैभव को प्राप्त करेगा। पुलवामा की घटना पर उन्होंने कहा कि सर उठाने वाले सांपों को पुन: कुचला जाएगा। भगवान श्री रामचंद्र और भगवान परशुराम के चित्र पर के माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। नव संवत्सर के महत्व पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शैलेंद्र मिश्रा ने प्रकाश डाला। महोत्सव में पधारे हुए समस्त अतिथियों का स्वागत अखिल भारतीय मनीषी परिषद के अध्यक्ष डॉ विद्यासागर पांडेय ने किय।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता राधे मोहन त्रिपाठी ने किया।विशिष्ट अतिथि के रूप में दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि काशी सदैव से विद्वत्परंपरा का नेतृत्व करने वाला ऊर्जावान नगर रहा है, यहां के विद्वानों ने सनातन धर्म को सदैव दिशा दिया है। कार्यक्रम को मणि शंकर पांडेय ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संयोजन संस्थापिका डॉक्टर विभा मिश्रा, मनीषी परिषद के महासचिव दिवाकर द्विवेदी, कोषाध्यक्ष अजय कुमार मिश्रा ने किया।
परंपरा के अनुसार विशिष्ट क्षेत्र में योगदान करने वाले आठ विद्वानों डॉक्टर केदारनाथ उपाध्याय, डॉक्टर दया निधि मिश्रा, पंडित जगजीतन पांडेय, डॉक्टर कमला शंकर, प्रोफेसर कुलदीप कुमार पांडेय, प्रोफेसर ज्ञानेश चौबे, अंडमान से आए शंकर ओझा हरिद्वार से आए जितेंद्र शर्मा को मनीषी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉ इशिता अवस्थी, डॉ अत्री भारद्वाज, अरुण मिश्रा, राजनाथ तिवारी, राजेश दीक्षित, डॉ अनिल कुमार पांडेय, डॉ अलका पांडेय नागेंद्र द्विवेदी, महंत चल्ला सुब्बाराव, शिवदत्त द्विवेदी, विनोद राव पाठक, शिवशरण पाठक,
प्रो सुजीत कुमार दुबे, पद्मश्री रजनीकांत द्विवेदी, अजय द्विवेदी, डॉ उदयन मिश्र, अमरनाथ दुबे किंजल्क चतुर्वेदी, इंद्रप्रकाश पांडेय, प्रदीप चौबे, आर के चौबे, डॉ माधवी तिवारी, रणदीप सिंह, अनूप दूबे, प्रो कमलेश झा, आनंद दुबे दीनदयाल, हरिश्चंद्र त्रिपाठी 'हरीश', उमेश दत्त, आनंद दुबे, डॉ मंजू द्विवेदी, चंद्रेश पांडेय, अजय दुबे, चंद्र प्रकाश दुबे, अंबरीश उपाध्याय, धर्मेंद्र पांडेय, नीरज चौबे, डॉ अशोक कुमार मिश्रा, कपिल नारायण पांडेय, दिनेश पाठक, सूर्यमुनी तिवारी, चंद्रभूषण पांडे, डॉ संजय चौबे, चंद्रशेखर मिश्रा, सुभाष तिवारी, डॉ प्रभाष सारखेल, संजय पांडे सहित हजारों लोग उपस्थित थे। संचालन डॉक्टर अरविंद शुक्ला ने किया।
