Kashi ka News. भजन ही मुक्ति का एकमात्र मार्ग- पं श्रीकांत शर्मा बालव्यास

 भजन ही मुक्ति का एकमात्र मार्ग- पं श्रीकांत शर्मा बालव्यास

ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना 

वाराणसी। दिनांक 30 जुलाई, श्री श्याम मण्डल ट्रस्ट एवं श्रीकाशी सत्संग सेवा समिति के तत्वावधान में महमूरगंज स्थित शुभम लॉन में चल रही सप्ताहव्यापी श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को कथा श्रवण कराते हुए प्रख्यात कथा मर्मज्ञ पं श्रीकांत शर्मा बालव्यास ने कहा कि भागवत कहती है कि कलिकाल में मुक्ति के लिए प्रभु का भजन और नाम जप संकीर्तन ही एक मात्र मार्ग है। मृत्यु सुधारने का उपाय भागवत में निहित है। भागवत में उल्लेख है कि ज्ञान, विद्या अर्जित करना है तो शिव की आराधना करनी होगी, दाम्पत्य जीवन संवारना है तो माँ पार्वती की आराधना करिए, लक्ष्मी चाहिए तो महालक्ष्मी की उपासना करिए और यदि सर्वस्व चाहिए तो हरि की शरण मे चले जाओ, हरि की शरण मे जीवन भी है और मोक्ष भी है। भागवत का दूसरा स्कंद मुक्ति के मार्ग को बतलाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत अहम का नाश करती है, ज्ञानी बनो, अभिमानी बनो लेकिन भगवान के होकर बनो। संसार के समस्त श्रेष्ठजनों, गुणीजनों को यह अभिमान रहा कि भगवान उनके ही है ऐसे ही नश्वरता वालो को यह अभिमान है कि सारी दुनिया उनकी ही है। यह श्रीमद भागवत उनके ही अभिमान का दमन करती है। श्री अर्थात श्रेष्ठ और मद अर्थात अभियान अहम, जिसका शमन भागवत में ही निहित है। भगवान यह नही देखते की उन्हें भोग में छप्पन भोग लगा है, पकवान बने है या सूखी रोटी दी गयी है, वे तो बस अर्पित करने वाले के भाव देखते है। जीवन में कभी विपत्ति आये तो निराश नही होना, विपदा को भी ईश्वर के रूप में देखो, विपत्ति को भगवत प्राप्ति का मार्ग बना ले तो बड़ी से बड़ी विपदा भी सम्पदा बन जाती है। सर्वत्र परमात्मा का दर्शन भागवत का संदेश है। कथा में मारवाड़ी युवा मंच गंगा शाखा की महिलाओं ने पं श्रीकांत शर्मा बालव्यास का भगवत कथा को जन जन तक पहुँचाने और गौ रक्षा के लिए उनके प्रयास के लिए निशा अग्रवाल एवं अनीता सिंघानिया के नेतृत्व में महिलाओं ने स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान कर उनका सम्मान व अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से ज्योति अग्रवाल, विनीता प्रसाद, उषा तुलस्यान, कृष्णा चौधरी, मेघा यादुका, अनिता खेमका, कृष्णा चौधरी, रेणु पोद्दार, श्वेता केडिया, समता डिडवानिया, नीतू नवलगढिया, वन्दना अग्रवाल आदि ने सामूहिक रूप से बालव्यास का सम्मान किया। संचालन महेश चौधरी ने किया। कथा का शुभारंभ नित्य की भाँति यजमानों द्वारा व्यासपीठ के पूजन से हुआ। आरती में मुख्य रूप से कथा वाचक शशिकांत महाराज, श्रृंगेरी मठ के चल्ला अन्नपुर्णा राव, बैजनाथ भालोटिया, दीपक बजाज, आयुष अग्रवाल, सुनील नोमानी, राजेश तुलस्यान, अवधेश खेमका, सुरेश तुलस्यान, कृष्ण कुमार काबरा, जय किशन केडिया, पवन अग्रवाल, आनंद स्वरूप अग्रवाल आदि शामिल हुए।