यज्ञो वै विष्णुः अनुष्ठान के अंतर्गत निकली भव्य शोभायात्रा।
ब्यूरो चीफ़ आनंद सिंह अन्ना
वाराणसी। भारत राष्ट्र के सुख समृद्धि एवं विश्व कल्याण के संकल्प के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित नौ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान यज्ञों वै विष्णु: कार्यक्रम के अन्तर्गत सोमवार को प्रात: कार्यक्रम संयोजक एवं मुख्य आचार्य पंडित जगन्नाथ शास्त्री के नेतृत्व मे सोनारपुरा से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर गेट नम्बर 4 तक भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। शोभायात्रा में फूलों से सुसज्जित रथों पर देव विग्रहो को रखा गया था। दक्षिण भारत से आए कलाकार पारंपरिक लोक नृत्य की प्रस्तुति करते चल रहे थे।शोभायात्रा में प्रमुख रूप से चिंतामणि गणेश मंदिर के मुख्य महंत चेल्ला सुब्बाराव, श्रृंगेरी मठ के प्रबंधक चेल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, केदाररेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य अर्चक धुलीपल्ला नारायण शास्त्री सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल थे। तत्पश्चात त्रंबकेश्वर हाल में दक्षिण भारत से आए हुए वैदिक विद्वानों ने श्री शिव पार्वती शांति कल्याणोत्सव की विधि-विधान से पूजा की। कार्यक्रम के मीडिया संयोजक चक्रवर्ती विजय नावड ने बताया कि तेलगु वैभवम के अन्तर्गत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतज्ञ कलारत्न वेमुरी वेंकटविश्वनाथ के उत्कृष्ट गायन ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आन्ध्र प्रदेश के विजयवाडा की नृत्यांगना एस मीनाक्षी के कुचुपडी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने उपस्थित दर्शकों की तालियाँ बटोरी। वैदिक यज्ञ में 11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा एक लाख 116 बिल्व फल से हवन किया गया। तेलुगु वैभव कार्यक्रम के अंतर्गत आवधान सप्ताह मे डॉ बुलुसु अपर्णा द्विशतावधानी ने महाकवि थिक्कनाचार्य की कृतियों पर आधारित भजन प्रस्तुत किया।कार्यक्रम के दौरान पं नोरी कल्याण सुंदर एवं ब्रह्मश्री नोरी सुब्रमण्यम शास्त्री की देखरेख में श्री चक्रनवावरण की सामुहिक अर्चना की गई। श्री राम कवचम प्रताप शर्मा के नेतृत्व में वेद की सभी शाखाओं को समर्पित 16 शिवलिंगों का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया गया।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर सभी शिवलिंगो की पूजा अर्चना की एवं कार्यक्रम के सफलता के लिये शुभकामनायें व्यक्त की।कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पुष्पगिरि पीठाधिपति एवं जगतगुरु श्री श्री अभिनवोद्दंड विद्या शंकर भारती स्वामी, श्री अमृतानंद स्वामी, आंध्रा आश्रम के ट्रस्टी वी वी सुंदर शास्त्री, विश्वनाथ सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
